हवन से हर प्रकार के 94 प्रतिशत जीवाणुओं का नाश होता हैं , अत: घर की शुद्धि तथा सेहत के लिए प्रत्येक घर में हवन करना चाहिए। हवन के साथ कोई मंत्र का जाप करने से सकारात्मक ध्वनि तरंगित होती हैं। जिससे शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, अत: कोई भी मंत्र सुविधानुसार बोला जा सकता है। हवन करने से घर में कलह नहीं होता, सुख शांति आती हैं, और धन में वृद्धि होती हैं । होसके तो रोज हवन करें। या फिर माह में एक बार तो जरूर हवन करें।
हवन की विधि :-
एक चौकोर वेदी बनायें, या एक हवन कुंड भी ले सकते हैं। एक थाली में बीचोबीच स्वास्तिक का चिन्ह बना लें, और उसके बायें ऊँ और दायें श्री: अंकित कर दें। स्वास्तिक के चिन्ह के बीच में दो सुपारियाँ कलावे लपेट कर रख दें। उसी चिन्ह के नीचे नवगृह के नौ वर्गाकार खाने बना लें। वेदी के बायें किनारे सामने जल से भरा लोटा रख दें। उसमे गंगाजल, दुब, सुपारी, और पुष्प डाल दें।
आचमन :-
एक लोटे में जल और गंगाजल मिला कर रख लें और उसमें चम्मच डाल दें। बायें हाथ से चम्मच को पकड़कर सीधी हथेली पर तीन बार जल डालकर आचमन करें, और मंत्र बोलें।
ॐ केशवाय नम:
ॐ नारायणाय नम:
ॐ माधवाय नम:
फिर यह मंत्र बोलते हुए हाथ धो लें।
ॐ हृषीकेशाय नम:
गोरी और गणेश पूजन :-
स्वास्तिक के बीच में जो सुपारियाँ रखी थीं। उन्हें गोरी गणेश मान कर उनका पूजन करें। और बोलें श्री गणेशाय नाम: , श्री गोर्ये नाम: ।
कलश पूजन :-
हाथ में अक्षत-पुष्प लेकर कलश में ‘ॐ’ वं वरुणाय नम:’ कहते हुए वरुण देवता का आवाहन करेंगे। कलश को तिलक करें। कलश के नीचे धी का दीपक जलायें। कलश के मध्य भाग पर स्वास्तिक का चिन्ह बनायें। अक्षत –पुष्प कलश के सामने चढ़ा दें। प्रसाद चढायें। इसके बाद नवग्रह के नौ खानों में नवग्रह की पूजा करें।
वेदी के चरों ओर जल छिड़कें। एक कटोरी में घी और एक कटोरी में जल भरकर रखें। धूप का दीपक बनाकर वेदी के बीच में रखें। उसमें कपूर रखकर प्रज्ज्वलित करें। चरों ओर समिधाएँ लगायें। अग्नि पूर्ण प्रज्ज्वलित हो जाये तो घी की आहुतियाँ दें।
मंत्र :-
आप सुविधानुसार किसी भी मंत्र का उपयोग कर सकते हैं। जैसे-
1 ) ॐ गं गणपतये नम: । मंत्र से आप 21, 51 ,या 108 आहुति दें सकते हैं। इसके बाद आप अन्य मंत्रो से तीन -तीन आहुतियाँ दें।
2 ) ॐ नमः शिवाय ।
3 ) ऊँ गौरये नमः ।
4 ) ॐ श्रीं श्रियै नमः ।
5 ) श्री हनुमंते नम: ।
पूर्णाहुति में आप सारे देवी देवताओँ का नाम लें। (सूर्य , चन्द्रमा , प्रथ्बी , आकाश , अपने कुलदेवता का नाम लें ,गुरू , और सभी देवी देवताओँ के नाम से पूर्णाहुति दें। )
इसके बाद आरती करें। भोग लगायें और प्रसाद वितरण करें।